निर्देश (1-0): गद्यांश को पड़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिएl
सिक्षा को वैज्ञानिक और प्राविधिक मूलाधार देकर हमनें जहां भौतिक परिवेश को पूर्णतया परिवर्तिति कर दिया है और जीवन को अप्रत्याशित गतिशीलता दे दी है, वहाँ साहित्य, कला, कर्म और दर्शन को अपनी चेतना से बहिस्कृत कर मानव-विकास को एकांगी बना दिया है l पिछली शताब्दी में विकास के सूत्र प्रकृति के हाथ से निकलकर मनुष्य के हाथ में पहुँच गए हैं, विज्ञान के हाथ में पहुँच गए हैं और इस बंद गली में पहुचने का अर्थ मानव-जाती का नाश भी हो सकता है l इसलिए, नैतिक और आत्मिक मूल्यों को साथ-साथ विकसित करने कि आवश्यकता है, जिससे विज्ञान हमारे लिए भस्मासुर का हाथ न बन जाये l व्यक्ति कि क्षुद्रता यही राष्ट्र कि क्षुद्रता बन जाती है तो विज्ञान भस्मासुर बन जाता जाता है l इस सत्य को प्रत्येक क्षण सामने रखकर ही अणु-विस्फोट को मानव-प्रेम और लोकहित कि मर्यादा दे सकेंगे l अपरिसिम भौतिक शक्तियों का स्वामी मानव आज अपने व्यक्तित्व के प्रति आस्थावान नहीं है और प्रत्येक क्षण अपने अस्तित्व के संबंध में संकाग्रस्त हैl
1. हमारी विज्ञानधृत शिक्षा की सर्वाधिक महत्वपूर्ण देन है?
(1) गतिशील जीवन का प्रत्यावर्तन
(2) जीवन का अपरिसीम भौतिक विकास
(3) जीवन का सर्वांगिर्ण विकास
(4) जीवन का एकांगी विकास
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
2. आधुनिक मानव-विकास को सर्वांगीर्ण नहीं कहा जा सकता, क्योंकि-
(1) साहित्य-धर्म-कला आदि मानव-चेतना से निर्वासित हा
(2) जीवन में आशातीत गतिशीलता का समावेश नहीं हुआ है
(3) भौतिक परिवेश पूर्णतया परिवर्तित हो गया है
(4) विकास के सूत्र मानव के हाथ में है
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
3. अणु-विसफोट को मानवतावाद कि मर्यादा देनी तभी संभव है जब व्यक्ति कि -
(1) उदात भावनाओ को विकसित किया जाय
(2) क्षुद्रता राष्ट्र कि क्षुद्रता बन जाए
(3) क्षुद्रता को राष्ट्र कि क्षुद्रता न बनने दिया जाए
(4) क्षुद्र भावनाओं का उन्नयन हो
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
4. मानव विज्ञान को भस्मासुर कानने से कैसे रोक सकते हैं?
(1) मानव-जाती का विनाश रोककर
(2) नैतिक-आत्मिक मूल्यों को विकसित करके
(3) भौतिक-आत्मिक-मूल्यों का निर्धारण करके
(4) प्रकृति-जगत का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त करके
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
5. आज का मानव अपने व्यक्तिव और अस्तित्व के प्रति इसलिए शंकालु है, क्यूंकि -
(1) उसका आत्मविश्वास लुप्त होता जाता है
(2) वह सिमित भौतिक शक्तियों का स्वामी है
(3) वह ईश्वर के प्रति आस्थावान नहीं है
(4) वह विज्ञान की विध्वन्सक शक्तियों से भयभीत है
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
6. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘अप्रत्याशित’ का असमानार्थी निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(1) प्रत्याशित
(2) दूरदर्शी
(3) अधर्मी
(4) महापुरुष
(5) अलौकिक
7. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘बहिष्कृत’ का असमानार्थी निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(1) निष्कासित
(2) अंगीकृत
(3) तिरस्कृत
(4) स्वीकृत
(5) प्रतिकारी
8. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘अस्तित्व, का प्रयोग किस सम्बन्ध में किया गया है?
(1) परलोक में उपस्थित
(2) भविष्यवाणी
(3) भूतकाल में घटित
(4) वर्तमान में उपस्थित
(5) इनमें से कोई नहीं
9. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘विकसित’ का समानार्थी निम्न में से कौन-सा है?
(1) समपन्न
(2) अविकसित
(3) अल्पविकसित
(4) विकासशील
(5) निर्धन
10. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘नाश’ का समानार्थी निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(1) निर्माण
(2) पोषण
(3) ध्वंश
(4) हराश
(5) भंगुर
ANSWERS
1. 2
2. 1
3. 3
4. 2
5. 4
6. 1
7. 4
8. 4
9. 1
10. 3
सिक्षा को वैज्ञानिक और प्राविधिक मूलाधार देकर हमनें जहां भौतिक परिवेश को पूर्णतया परिवर्तिति कर दिया है और जीवन को अप्रत्याशित गतिशीलता दे दी है, वहाँ साहित्य, कला, कर्म और दर्शन को अपनी चेतना से बहिस्कृत कर मानव-विकास को एकांगी बना दिया है l पिछली शताब्दी में विकास के सूत्र प्रकृति के हाथ से निकलकर मनुष्य के हाथ में पहुँच गए हैं, विज्ञान के हाथ में पहुँच गए हैं और इस बंद गली में पहुचने का अर्थ मानव-जाती का नाश भी हो सकता है l इसलिए, नैतिक और आत्मिक मूल्यों को साथ-साथ विकसित करने कि आवश्यकता है, जिससे विज्ञान हमारे लिए भस्मासुर का हाथ न बन जाये l व्यक्ति कि क्षुद्रता यही राष्ट्र कि क्षुद्रता बन जाती है तो विज्ञान भस्मासुर बन जाता जाता है l इस सत्य को प्रत्येक क्षण सामने रखकर ही अणु-विस्फोट को मानव-प्रेम और लोकहित कि मर्यादा दे सकेंगे l अपरिसिम भौतिक शक्तियों का स्वामी मानव आज अपने व्यक्तित्व के प्रति आस्थावान नहीं है और प्रत्येक क्षण अपने अस्तित्व के संबंध में संकाग्रस्त हैl
1. हमारी विज्ञानधृत शिक्षा की सर्वाधिक महत्वपूर्ण देन है?
(1) गतिशील जीवन का प्रत्यावर्तन
(2) जीवन का अपरिसीम भौतिक विकास
(3) जीवन का सर्वांगिर्ण विकास
(4) जीवन का एकांगी विकास
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
2. आधुनिक मानव-विकास को सर्वांगीर्ण नहीं कहा जा सकता, क्योंकि-
(1) साहित्य-धर्म-कला आदि मानव-चेतना से निर्वासित हा
(2) जीवन में आशातीत गतिशीलता का समावेश नहीं हुआ है
(3) भौतिक परिवेश पूर्णतया परिवर्तित हो गया है
(4) विकास के सूत्र मानव के हाथ में है
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
3. अणु-विसफोट को मानवतावाद कि मर्यादा देनी तभी संभव है जब व्यक्ति कि -
(1) उदात भावनाओ को विकसित किया जाय
(2) क्षुद्रता राष्ट्र कि क्षुद्रता बन जाए
(3) क्षुद्रता को राष्ट्र कि क्षुद्रता न बनने दिया जाए
(4) क्षुद्र भावनाओं का उन्नयन हो
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
4. मानव विज्ञान को भस्मासुर कानने से कैसे रोक सकते हैं?
(1) मानव-जाती का विनाश रोककर
(2) नैतिक-आत्मिक मूल्यों को विकसित करके
(3) भौतिक-आत्मिक-मूल्यों का निर्धारण करके
(4) प्रकृति-जगत का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त करके
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
5. आज का मानव अपने व्यक्तिव और अस्तित्व के प्रति इसलिए शंकालु है, क्यूंकि -
(1) उसका आत्मविश्वास लुप्त होता जाता है
(2) वह सिमित भौतिक शक्तियों का स्वामी है
(3) वह ईश्वर के प्रति आस्थावान नहीं है
(4) वह विज्ञान की विध्वन्सक शक्तियों से भयभीत है
(5) उपर्युक्त में से कोई नहीं
6. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘अप्रत्याशित’ का असमानार्थी निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(1) प्रत्याशित
(2) दूरदर्शी
(3) अधर्मी
(4) महापुरुष
(5) अलौकिक
7. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘बहिष्कृत’ का असमानार्थी निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(1) निष्कासित
(2) अंगीकृत
(3) तिरस्कृत
(4) स्वीकृत
(5) प्रतिकारी
8. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘अस्तित्व, का प्रयोग किस सम्बन्ध में किया गया है?
(1) परलोक में उपस्थित
(2) भविष्यवाणी
(3) भूतकाल में घटित
(4) वर्तमान में उपस्थित
(5) इनमें से कोई नहीं
9. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘विकसित’ का समानार्थी निम्न में से कौन-सा है?
(1) समपन्न
(2) अविकसित
(3) अल्पविकसित
(4) विकासशील
(5) निर्धन
10. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘नाश’ का समानार्थी निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(1) निर्माण
(2) पोषण
(3) ध्वंश
(4) हराश
(5) भंगुर
ANSWERS
1. 2
2. 1
3. 3
4. 2
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